हेल्थ डेस्क। ग्लूकोमा या काला मोतिया क्या है.. ऑल इंडिया आप्थैलमोलाजिकल सोसायटी की तरफ़ से प्रतिवर्ष 7से 13मार्च ग्लाकोमा काला मोतिया जागरूकता प्रोग्राम लिए जाते हैं। यह बहुत ख़तरनाक है क्योंकि शुरुआत में मरीज को कोई भी साइन सिम्टम्स नहीं होते हैं, मरीज जब तक चेकअप के लिए डॉक्टर के पास आते हैं, काफी दृष्टि कम हो जाती है, जिसे वापस नहीं लाया जा सकता। अक्सर 40 वर्ष के बाद व महिलाओं में थोड़ा जल्दी शुरुआत होती है, अतः 40 के बाद समय-समय पर आंखों की नियमित जांच कराना चाहिए।
आंखों में पानी की तरह एक द्रव्य नियमित रूप से तैयार होता व इसका निकास होता रहता है। यह द्रव्य आंखों को पोषण देता है व आकार को बनाए रखता है। किसी कारणवश यदि मार्ग अवरुद्ध हो जाए या द्रव्य अधिक तैयार होने लगे तो प्रेशर बढ़ जाता है, जोकि सामान्यतया 15 से 21 मिली मीटर ऑफ मरकरी होता है। बढ़ जाता है इसके कारण सेकंड ऑप्टिक नर्व दबने लगती है , धीरे धीरे सूख जाती है, व दृष्टि कम हो जाती है।
किन्हे होता है
सामान्यतया 40 वर्ष के बाद
अनुवांशिक
डायबिटीज हाइपरटेंशन के मरीज
ऑटोइम्यून डिजीज के कारण कार्टिकोस्टेराइड व आंखों में कार्टिकोस्टेराइड ड्रॉप डालने से
प्रकार
छोटे बच्चों में
साइज का बड़ा हो जाना
हमेशा पानी निकलना
प्रकाश की ओर ना देख पाना अंधेरे में रहना पसंद करते हैं
पुतली में सफेद डाट
इत्यादि लक्षण के कारण माता पिता डॉक्टर से संपर्क करते हैं, व इलाज हो जाता है।
बड़ों में ओपन एंगल
एं
क्लोज एंगल
व बीमारी के कारण सेकेंडरी ग्लूकोमा
क्लोज एंगल
एक्यूट अटैक।
बहुत ज्यादा बर्दाश्त के बाहर
आंखों में दर्द होता है।
आंखों का लाल होना
पत्थर की तरह हो जाना
उल्टी आ सकती है।
लक्षण के कारण इलाज भी हो जाता है।
ओपन एंगल क्रॉनिक हो जाता है डॉक्टर के पास काफी दृष्टि कम होने के बाद पहुंचते हैं व कम हुई दृष्टि वापस नहीं आ सकती है।
अतः 40 के बाद नियमित जांच कराते रहना चाहिए।
डायग्नोसिस
1
डायलेट करके नर्व की जांच की जाती है।
2प्रेशर लिया जाता है 24क्या है ग्लूकोमा ? नेत्र रोग विशेषज्ञ से जाने लक्षण व इलाज… घंटे प्रेशर मॉनिटर किया जाता है शुरुआत में
अलग-अलग तरह से लेते हैं
अ
शिआट्ज टोनोमीटर
ब नॉन कांटेक्ट टोनोमेट्री
स
अपलांटेशन टोनोमिटरी
3 फंड्स फोटोग्राफी
4
ओसिटी आंख का सिटी स्कैन होता है । नर्व फाइबर लेयर की थिकनेस ली जाती है।
5 पेरीमेटरी
6 गोनियोस्कॉपी गोनियो लेंस की सहायता से एंगल देखा जाता है।
इलाज
1
मेडिकल ड्रॉप्स के द्वारा ड्रॉप्स नियमित समय पर डालना होता है
2 लेजर
3 अंतिम उपाय आपरेशन
इंप्लांट या बिना इंप्लांट
डॉ राजकुमारी सुरेश जैन
एमबीबीएस डीओएम एस
आप्थैलमोलाजिस्ट नेत्र रोग विशेषज्ञ
Author: bhartimedianetwork
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