हिंडनबर्ग के आरोपों से मुश्किल में घिरे अडानी समूह को लेकर रोज नई खबरें सामने आ रही हैं। इस बीच 2 फरवरी को गौतम अडानी द्वारा की गई FPO वापसी ने सभी को चौंका दिया था। पूरी तरह से सब्सक्राइब FPO को वापस लेने को कई लोग देश की छवि से जोड़कर भी देख रहे हैं। इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि अडाणी समूह के 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ वापस लेने से देश की वृहत आर्थिक बुनियाद और अर्थव्यवस्था की छवि प्रभावित नहीं हुई है।
वित्त मंत्री ने बजट के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमारा व्यापक आर्थिक बुनियादी आधार या हमारी अर्थव्यवस्था की छवि, इनमें से कोई भी प्रभावित नहीं हुई है। हां, एफपीओ (अनुवर्ती-सार्वजनिक पेशकश) आते रहे हैं और एफआईआई बाहर निकलते रहते हैं।” उन्होंने कहा कि अडाणी मामले में नियामक अपना काम करेंगे। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास बाजारों की स्थिरता सुनिश्चित करने के साधन हैं।
अडानी समूह के खिलाफ आरोपों पर एक व्यापक सवाल का जवाब देते हुए, उन्होंने कहा कि देश के स्वतंत्र वित्तीय क्षेत्र के नियामक इस पहलू पर गौर करेंगे और कहा कि पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के पास बाजारों में स्थिरता सुनिश्चित करने के साधन हैं। उन्होंने कहा, बाजार को कंट्रोल करने के लिए सेबी के पास पर्याप्त शक्तियां हैं और नियामक पूरी स्थिति पर नजर रखे हैं।
वित्त मंत्री ने शुक्रवार के बयान का हवाला देते हुए यह भी कहा कि आरबीआई पहले ही इस मुद्दे पर बोल चुका है, जिसमें कहा गया है कि बैंकिंग क्षेत्र लचीला और स्थिर है।
लगभग दस दिन पहले, अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के खिलाफ कॉरपोरेट गवर्नेंस के मोर्चे पर कई आरोप लगाए। अहमदाबाद स्थित समूह ने सभी आरोपों का खंडन किया है और इसे भारत पर सुनियोजित हमला करार दिया है। इसने एफपीओ को सब्सक्रिप्शन मैनेज करने के बाद भी रद्द कर दिया है।
Author: bhartimedianetwork
Discover more from Bharti Media Network
Subscribe to get the latest posts sent to your email.