अभिषेक सिंह ठाकुर
भानुप्रतापपुर। भानुप्रतापपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला डॉक्टर के रूप में प्रीति सिंह पदस्थ थीं तब यहां हर महीने औसतन 150 से 160 प्रसव होते थे। भानुप्रतापपुर अस्पताल में भानुप्रतापपुर के अलावा अंतागढ़, दुर्गुकोंदल, पखांजूर, कोयलीबेड़ा के अलावा पड़ोसी जिला बालोद के डौंडी ब्लॉक से भी प्रसव के मामले आते थे।
जटिल केस का ऑपरेशन भी होता था। इसी बीच सितंबर 2023 में डॉ प्रीति सिंह पीजी की पढ़ाई करने चली गईं लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उनकी जगह किसी दूसरी महिला डॉक्टर की यहां पदस्थापना नहीं की। इसके बाद भी कुछ दिनों तक व्यवस्था संभली हुई थी क्योंकि तीन ग्रामीण क्षेत्र में अनिवार्य सेवा वाली महिला डॉक्टर यहां पदस्थ थीं। समय पूरा होने पर तीनों महिला डॉक्टर भी मार्च, अप्रैल और मई में यहां से चली गईं।
इसके बाद यहां प्रसव कराने का जिम्मा आरएमओ और स्टाफ नर्स पर आ गया। आरएमओ व स्टाफ नर्स नॉर्मल प्रसव तो करा लेती हैं लेकिन थोड़ा भी केस पेचीदा हुआ तो वे हाथ खड़ी कर देती हैं और केस रेफर कर दिया जाता है। इसके बाद प्रसव कराने आई महिला व उसके परिजनों की परेशानी बढ़ जाती है। उन्हें दूसरे शहर जाना होता है जहां प्रसव में काफी खर्च होता है या फिर घर जाकर वहां दाई आदि की जो व्यवस्था है उनसे प्रसव कराती हैं। अगस्त 2023 में भानुप्रतापपुर अस्पताल में 139 प्रसव हुए थे। डॉ प्रीति सिंह के जाने के बाद सितंबर में 89, अक्टूबर में 85, नवंबर में 58, दिसंबर में 85, जनवरी में 81 तो फरवरी में 69 प्रसव हुए। दो वर्ष ग्रामीण क्षेत्र में अनिवार्य सेवा वाली महिला डॉक्टरों के जाने के बाद प्रसव यहां और कम होने लगे। मार्च में 65, अप्रैल में 53 तो मई में 56 ही प्रसव हुए। अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं होने से ओपीडी में पहुंची महिलाओं को पुरुष डॉक्टर से इलाज कराना पड़ता है। पुरुष डॉक्टर से इलाज कराने में महिलाएं असहज हो जाती हैं। वर्तमान में यहां 3 एमबीबीएस डॉक्टर, एक आरएमओ कार्यरत हैं।
Author: bhartimedianetwork
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