गौमाता की प्रतिष्ठा में लगा हुआ है उससे बडा भाग्यशाली व्यक्ति कोई भी नही है- गोपालमणि

अभिषेक सिंह ठाकुर

भानुप्रतापपुर। हाई स्कूल मैदान में विगत तीन दिवस से चल रही धेनुमानस गोकथा में उत्तराखंड हिमालय से पधारे गोपाल मणि जी महाराज ने कहा मनुष्य जो जीवन में सुकृत करता है वो कभी भी निष्फल नहीं जाता क्योंकि समय आने पर मनुष्य के शुभ काम सामने आते हैं इसलिए जीवन में हमेशा शुभ कार्य करने का प्रयास करते रहना चाहिए। मनुष्य बहुत भाग्यशाली है जो उसे कलयुग में जन्म मिला है। और इस कलि काल में जो व्यक्ति गौमाता की प्रतिष्ठा में लगा हुआ है उससे बडा भाग्यशाली व्यक्ति कोई भी नही है। अगर इस कलि काल में व्यक्ति गौमाता को पशु बोलेगा तो उसका जीवन भी पशुता जैसा बन जायेगा।

अपनी आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति गौ और गंगा से जोड़ो और उन्हें सनातनी बनाओ क्योंकि अगर आने वाली पीढ़ी सनातनी नहीं बनेगी तो हमारा भविष्य ख़राब हो जायेगा अगर आने वाली पीढ़ी शराबी या जुआरी होगी तो वो कभी भी अपने पितरों और अपने धर्म की इज्जत नहीं करेगी ,अपनी पीढ़ी को सनातनी ज्ञान अवश्य देना चाहिए। आने वाले भविष्य के लिए सनातन संस्कार प्राप्त करना बहुत जरूरी है क्योंकि अपना भविष्य बचाना मनुष्य के हाथ में ही होता है।

जब मनुष्य का मन साफ होगा तभी गोविन्द मिलेंगे। तन और मन को शुद्ध करने वाली केवल और केवल गौमाता ही है। जो मां अपने बच्चे को जहरीला दूध यानी थैली का दूध पिलाती है वह शत्रु है उसको शस्त्रों में पूतना नाम दिया है इसलिए हर मां को अपने बच्चे को अपना दूध या फिर देशी गाय माता का ही दूध पिलाना चाहिए क्योंकि जो गुण इंसान की मां के दूध मैं है वही गुण गौमाता के दूध मैं है और इंसान की मां और गौमाता दोनो ही एक ही समय में बच्चे को 9 महीने में ही जन्म देती है। इसलिए मां और गौ माता की बराबरी की गई है।
पूज्य महाराज ने प्रवचन में कहा की आज के व्यक्ति की इन्द्रियां अपने वश में नही है इंद्रियां तो बहुत बड़ी चीज है उसका मन और ह्रदय भी अपने वश में नही है इन सबका मूल कारण दूध है बोलचाल की भाषा में बोला भी जाता है जैसा पियोगे दूध वैसे बनेगा बुद्धि और बुद्धि की शुद्धि मन ही करता है और मन को शुद्ध करने के लिए गौमाता का ही दूध चाहिए।

भगवान को छल और कपट बिलकुल पसंद नहीं है लेकिन भगवान को वो मनुष्य बहुत प्रिय होते हैं जिनका मन निर्मल होता है।

आज कथा में पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से स्वामी नरेंद्र जी महाराज,सिद्ध बाबा बालकनाथ छतरपुर दिल्ली से साध्वी राजेश्वरी देवा जी, उत्तराखंड जगन्नाथ पीठ के आचार्य राकेश सेमवाल जी ,ईश्वर साहू, रेखा शुक्ला, कांति मानक यादव, वीरेंद्र सिंह ठाकुर आदि शामिल हुए।


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