भानुप्रतापपुर। मेसर्स पीताम्बरा लाजेस्टिक एन्ड इंफ्राटेक्चर प्रा लिमिटेड ग्राम कलवर दुर्गुक़ोंदल में खसरा क्रमांक 29,30,31,32,39/1, 39/3, 40/1, एवं 40/2 कुल क्षेत्र 23.72 हेक्टेयर में प्रस्तावित आयरन ओर के लिये पर्यावरण स्वीकृति के लिए ग्राम कलवर से 30 किमी दूर दुर्गुक़ोंदल में गुरुवार 1 अगस्त को जनपद पंचायत के सभागार में आयोजित की गई। जिसमें ग्रामवासियों द्वारा खुलकर विरोध करते हुए प्रशासन वापस जाओ के नारे लगाए गए। जिस पर सभी एकमत होकर आंदोलन करने के भी बात कही गई। हंगामा को देखते हुए पर्यावरण स्वीकृति लोक सुनवाई के लिए जो अधिकारी नोडल के रूप में उपस्थित हुए थे वे अधिकारी लोगो के उग्र आपत्ति को देखते नोडल अफसर पर्यावरण सुनवाई को समाप्त कर चलते बने। वही छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल से आये अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नोडल अफसर ही चले गए तो आगे का प्रक्रिया कैसे हो पायेगा। अब जो भी निर्णय होगा वह नोडल अफसर ही बता पायेगा। यह कह कर सभी अधिकारी अपने अपने वाहनों में बैठकर रवाना हो गए।
चंद्रमौली मिश्रा शिवसेना के प्रदेश महासचिव ने जन सुनवाई का विरोध करते कहा कि प्रभावित सहित क्षेत्र की जनता को जन सुनवाई की जानकारी दी जानी चाहिए लेकिन जिला प्रशासन एवं माइंस प्रबंधन द्वारा छुपाया गया है। वही मात्र 90 लोगो को काम मे रखने की बात की जा रही है, जबकि प्रभावित ग्राम में संख्या अधिक है। सभी भाइयों को रोजगार मिलनी चाहिए। बस्तर क्षेत्र में कई माइंस संचालित हो रही है लेकिन सुविधा आज भी बद से बत्तर बनी हुई है।
हरेश चक्रधारी आम आदमी के जिला अध्यक्ष ने भी जन सुनवाई का विरोध किया है। मैं प्रशासन से सवाल करना चाहता हु कि प्रभावित ग्राम से 30 किमी दूर ब्लाक मुख्यालय में कुछ लोगो को बुलाकर जन सुनवाई की जा रही है वह पूर्णतः फर्जी है। जिस क्षेत्र में माइंस खुलना है वहा से कुछ लोग ही आये है। वही माइंस प्रबंधन द्वारा 90 लोगो को रोजगार देने की बात कर रहे है उनमें भी टेक्नीशियन 40 से 50 लोग बाहर के होंगे। उन्होंने बताया कि माइंस प्रबंधन के पास प्रभावित क्षेत्र का लेखा जोखा नही होगा। मैं ठेकेदार व अपर कलेक्टर से पूछना चाहता हूँ कि कितने जनपद सदस्यों को जन सुनवाई के बारे में बताया गया है?
हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत है लेकिन यहां पर गिनती के ही महिला उपस्थित है। जन सुनवाई की जानकारी वनसभा को मालूम नही है। कुल मिलाकर यह जन सुनवाई पूरी तरह से पूंजीपतियों के हित मे जिला प्रशासन द्वारा दलाल के रूप में किया जा रहा है।
तुषार ठाकुर
क्षेत्र के आदिवासी नेता युवा कांग्रेस में प्रदेशमहासचिव तुषार ठाकुर ने प्रशासन को सीधे कहा माइंस का हम विरोध नहीं करते माइंस के साथ क्षेत्र का विकास होगा परंतु विकास के मायने क्या होंगे इसकी गारंटी चाइए, परंतु प्रशासन द्वारा जनसुनवाई का कार्यक्रम प्रभावित ग्राम से 10 किलोमीटर के अंतर्गत होने के बजाय दुर्गकोंदल मुख्यालय में रखना क्षेत्र के विधायक से लेकर दुर्गकोंदल के मुख्यालय तक किसी भी जनप्रतिनिधि को जानकारी ना देना घोर संदेह परस्त है ,जिला कलेक्टर प्रशासन द्वारा पूंजीपतियों की दलाली नही चलेगी, आप लोग पूंजी पत्तियों और सत्ता के दबाव में क्षेत्र के आदिवासियों की संस्कृति उनके जनजीवन के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते पेशा कानून का उलंघन आदीवासी समाज कभी बर्दास्त नही करेगा, तुषार ठाकुर ने आगे कहा की हिदुस्तान का कोई भी व्यक्ति अगर संविधान के नियम कानून को नहीं मानता तो उसे आतंकवादी ,नक्सलवादी देश द्रोही माना जाता और आप तो कलेक्टर होने के बावजूद संवैधानिक नियम कानून को तोड़ मरोड़ रहे हैं, साहब तो आप क्या है, आतंकवादी नक्सलवादी देश द्रोही आप खुद तय कीजिए ।
सुनील बबला पाढ़ी अध्यक्ष नगर पंचायत ने विरोध करते हुए कहा कि माइंस क्षेत्र के 10 किमी के परिधि में जन सुनवाई किया जाना चाहिए लेकिन लोगो को गुमराह किया गया। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी इनकी जानकारी नही है वही स्थानीय विधायक को भी इसकी सूचना नही दिया गया।
पंकज वाधवानी पार्षद व युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव ने कहा कि जन सुनवाई फर्जी तरीके से कराई जा रही है। मैं माइंस प्रबंधन एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों से पूछना चाहूंगा कि जिस क्षेत्र में माइंस खुलना है वहा के लोगो को विश्वास में लेकर कार्य करना चाहिए। वही किस अनुबंध व विकास कार्य के तहत माइंस खोला जाएगा उसका भी जिक्र होनी चाहिए। प्रभावित ग्रामीण आज भी कई समस्याओं से जूझ रहे है। न ही अच्छी स्कूल, हॉस्पिटल, पानी, बिजली सड़क की व्यवस्था प्रबंधन द्वारा की गई है। मात्र एक एम्बुलेंस व एक नर्स बैठाकर हॉस्पिटल की सुविधा की बात कहना गलत है।
वीरेंद्र सिंह ठाकुर ब्लाक अध्यक्ष भानुप्रतापपुर ने भी अपना विरोध जताया है। माइंस प्रबंधन द्वारा मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात करते है लेकिन काम शुरू होने के बाद जनता की बातों को नजर अंदाज कर दिया जाता है। दुर्भाग्य की बात है जन सुनवाई में जिला के तमाम अधिकारी उपस्थित रहते है जिनके सामने बड़े बड़े वायदे किये जाते है लेकिन कभी पूरी नही होती है।
देवलाल दुग्गा पूर्व विधायक ने कहा कि वन संपदा का दोहन कर बाहरी लोगों अरबो रुपए कमा लेते है जबकि वन संपदा होते हुए भी हमे परेशानियों के सिवाय कुछ नही मिलता है। बता दे कि
डीएमएफ फंड के 80 प्रतिशत राशि से प्रभावित ग्राम में विकास के लिए होता है, लेकिन वहां कभी भी उतने राशि विकास कार्य मे खर्च नही किया जाता है। मेरी बातों को शासन प्रशासन अच्छी तरह से सुन ले मैं जनता के साथ इस आंदोलन में शामिल हूँ |
सोप सिंह उइके ब्लाक अध्यक्ष दुर्गुक़ोंदल, देवेंद्र टेकाम जनपद सदस्य, छत्र प्रताप दुग्गा, मेयर सिंह वट्टी, जगत दुग्गा, कुछ ग्रामीण ने भी जन सुनवाई को अवैध बताते हुए इसे स्थगित किये जाने की मांग की गई है।https://youtu.be/FBf_mDQHpA8?si=OsCVRO3-RbYKQwTn
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Author: Abhishek Singh Thakur
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