स्मित पटेल के पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री थी और प्लेसमेंट के जरिए शानदार नौकरी का मौका भी। स्मित ने यूपीएससी के जरिए करियर बनाने का विकल्प चुना। उन्होंने तैयारी की लेकिन चार बार उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा। उनके दोस्त जहां करियर में आगे बढ़ रहे थे, वहीं स्मित को निराशा घेर रही थी।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मुंबई यूनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री लेकर निकले इस नौजवान के सामने करियर के बेहतरीन मौके थे। कैंपस में प्लेसमेंट चल रहा था और उसके दोस्त शानदार पैकेज पर नौकरी हासिल कर रहे थे। लेकिन उसकी जिद कुछ और थी। उसे बचपन से उसके दादा रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाते आए थे। अपने कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदारी के भाव उसके अंदर जैसे घुल गए थे। और इसीलिए, जिस वक्त उसके दोस्त मल्टीनेशनल कंपनियों में मोटे पैकेज की नौकरियां पा रहे थे, तो उसने यूपीएससी के जरिए सिविल सेवा में जाने का फैसला लिया। लेकिन ये सब इतना आसान कहां था, यूपीएससी में उसे लगातार चार साल नाकामयाबी का दौर झेलना पड़ा।
कहानी है मुंबई में रहने वाले स्मित पटेल की, जिनके पिता बेहतर जीवन की तलाश में गुजरात से आकर यहां बस गए थे। स्मित जब छोटे थे तो रात में सोते समय जब तक उनके दादा उन्हें रामायण और महाभारत की कहानियां ना सुनाएं, उन्हें नींद नहीं आती थी। वो कहानियां उनके लिए महज कहानियां नहीं थीं, बल्कि जिंदगी के सबक थे। स्मित के घर के हालात ज्यादा अच्छे नहीं थे, फिर भी परिवार ने उनकी पढ़ाई को प्राथमिक दी। स्कूली पढ़ाई पूरी हुई तो उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल कर ली।
नौकरियों के ऑफर छोड़कर क्यों लिया ये फैसला?
हालांकि, स्मित ने पहले ही ठान लिया था कि वो यूपीएससी की परीक्षा देंगे, इसलिए इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में उन्होंने अपनी तैयारी शुरू कर दी। ये एक बहुत बड़ा फैसला था। इंडियन मास्टरमाइंड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्मित के दादा गुजरात में रहते हुए स्थानीय चुनावों में काफी एक्टिव रहते थे। उनकी पूरी जिंदगी गुजरात में जिला परिषद स्तर के चुनावों, मिलों और बाकी जगहों पर काम करते हुए गुजरी थी। स्मित के दादा उन्हें बताते थे एक सिविल अधिकारी समाज में कितना असरदार होता है। उसके फैसले किस तरह समाज में बदलाव लाते हैं। यूपीएससी को अपने करियर के तौर पर चुनने की स्मित की एक वजह ये भी थी।