तेज गर्मी ने बढ़ाई मिट्‌टी के घड़ों की बिक्री:झुंझुनूं सुराही की डिमांड ज्यादा, मई के दूसरे सप्ताह में चढ़ा पारा

 

                                                                                       गर्मी के तेवर हुए तल्ख

गर्मी तेज होने के साथ ही मिट्टी के मटकों की बिक्री शुरू हो गई है। बाजार में जगह जगह मटकियां रखी दिखाई दे रही हैं। इस बार बे मौसम बरसात और बार-बार मौसम के बदलाव के कारण कभी गर्मी तो कभी ठंडी हवाओं का दौर चल रहा था।

मई के प्रथम सप्ताह में अब गर्मी ने एकदम जोर पकड़ लिया है और लोगों के हाल बेहाल होने लगे हैं। गर्मी के असर दिखाना शुरू करने के साथी इससे बचाव के लिए अब पंखों के बाद कूलर और एयर कंडीशनर चलने शुरू हो गए हैं।

इसके साथ ही बस स्टैंड, हवाई पट्टी सहित सहित अन्य स्थानों पर बिक्री के लिए मटकियां दिखने लगी हैं। इन दिनों बाजार में 100 रुपए से लेकर 200 रुपए तक की मटकियां व मटके बिक रहे हैं।

आधुनिकता के दौर में भले ही घरों में मिट्टी के बर्तनों की जगह प्लास्टिक, स्टील, पीतल व एल्यूमीनियम के बर्तनों ने ले ली हो, लेकिन आज भी मिट्टी की मटकियों की मांग में कोई कमी नहीं आई। मटकियां शीतलता के लिए प्रसिद्ध है। गांव में मिट्टी के बर्तन सीमित मात्रा में बनाए जाते हैं।

कई तरह के मटके और मटकियां

काली मिट्टी से बना काला मटका, राजस्थान का लाल मटका, हरियाणा की सुराई, अहमदाबाद का बना मटका बाजार में उपलब्ध है। काले एवं नक्काशीदार मटके भी बाजार में आ गए हैं। इनकी काफी मांग निकल रही है। नक्काशीदार मटकों से ठंडा पानी तो मिलता ही है, यह रसोई की शोभा बढ़ाने के भी काम में आता है।

थोड़ी बढ़ोतरी

मटका व्यवसायी सुरेन्द्र का कहना है कि गरीबों का फ्रिज कहे जाने वाले मटके को खरीदने के लिए कार सवार ग्राहक भी आ रहे हैं। बाजार में अन्य वस्तुओं के दामों में आई तेजी के अनुपात में मटके के दामों में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई है।

आकार प्रकार के हिसाब से मटके की कीमत तय की जाती है। हर साल मार्च में मटकों की बिक्री शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार मौसम परिवर्तन होते रहने से तापमान कम रहा अब तापमान में तेजी आने के साथी इसकी बिक्री में एकदम तेजी आ गई है। उन्होंने बताया कि मटका बनाने का काम 3 महीने पहले शुरू हो जाता है।

स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद

फिजिशियन डॉ कैलाश राहड़ का कहना है कि कुछ भी खाने के बाद फ्रिज का ठंडा पानी पीने से शरीर का तापमान कम हो जाता है, खाना पचता नहीं, बल्कि सड़ता है। इससे बीमारियां होने लगती हैं। वहीं, मटका मिट्टी का बना होता है, मिट्टी में बहुत सारे मिनरल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। पानी के अंदर मौजूद दूषित तत्व को मिट्टी का मटका सोख लेता है और पानी को शुद्ध बना देता है। इसलिए मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है।


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