दुर्ग जिले में लकड़ी तस्कर बेखौफ होकर प्रतिबंधित कहुआ पेड़ों की अवैध कटाई कर परिवहन कर रहे हैं। प्रशासन और वन विभाग की निष्क्रियता के कारण इन दिनों लकड़ी माफिया सक्रिय
ज्ञात हो कि खेत के मेड़ पर कहुआ (अर्जुन) को शासन ने औषधीय मूलक पेड़ घोषित किया है। इसलिए इसकी कटाई, बिक्री या परिवहन के लिए किसान या व्यापारी को कलेक्टर से अनुमति लेना पड़ता है। बावजूद इसके दुर्ग के नजदीक प्रतिबंधित पेड़ों की अवैध कटाई और ट्रैक्टरों से बिना ट्रांजिट पास के परिवहन किया जा रहा है। कहुआ ईमारती लकड़ी होने के कारण बाजार में इसकी डिमांड ज्यादा है। चिकना और लंबाई के साथ सीधा होने वाले कहुआ के पेड़ों से मनचाहे फर्नीचर तैयार होते है। प्रतिबंधित होने के कारण पेड़ की बिक्री भी महंगे दामों में होती है।
कहुआ का पेड़ कई बीमारी में कारगर
शासन ने अर्जुन को औषधिक मूलक पेड़ मानकर इमारती लकड़ी घोषित किया है। अर्जुन कहुआ के छाल से हार्ट की बीमारी दूर करने की दवाई बनती है। हड्डी जोड़ने में भी कहुआ पेड़ के चूर्ण का उपयोग होता है। दर्दनाशक काढ़ा भी तैयार होता है। जो पेट दर्द में कारगर है।
रात के अंधेरे में आरा मिलों में पहुंचाते हैं लकड़ी
अहिवारा -जामुल मुख्य मार्ग में रात एक से चार बजे के बीच लकड़ी तस्कर सक्रिय रहते है। इन चार घंटों में कई ट्रैक्टर लकड़ी आरा मिलों में पहुंचा दिए जाते हैं, जिससे न तो अधिकारियों को पता चल पाता है और न ही ग्रामीणों को।
इस क्षेत्र में सक्रिय हैं तस्कर
दुर्ग वन मंडल के अंतर्गत उतई, अंडा, पाटन जामुल,सेलुद सहित कई क्षेत्र में कहुआ के पेड़ की अवैध कटाई हो रही है। इन गांवों में तस्करों ने एजेंट सक्रिय कर रखा है जो कि ग्रामीणों को एक पेड़ के पीछे एक हजार से 15 सौ रुपये थमाकर ठगते हैं।
ग्रामीण अंचल में चल रहा खेल
जिले के ग्रामीण अंचलों में देखा जाए तो दुर्ग ब्लाक, धमधा ब्लाक, पाटन ब्लाक के गांवों में अंधाधुंध लकड़ी की कटाई चल रही है। वहीं, कहीं-कहीं गांव में लकड़ी तस्कर किसानों से लकड़ी खरीद कर स्टाक भी किए हुए हैं। प्रतिबंधित वृक्षों में कहवा, महुआ, आम, इमली, अर्जुन, बरगद, परसा, नीलगिरी, नीम, खम्हार जैसे दुर्लभ लकड़ी की तस्करी कर रहे हैं।
वही वन मंडल के अधिकारी भी देखकर अनदेखा कर रहे हैं
अवैध कटाई से पर्यावरण को क्षति
पेड़ों की अवैध कटाई ने पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है। वर्षों से हो रही लगातार अवैध कटाई ने जहां मानवीय जीवन को प्रभावित किया है, वहीं असंतुलित मौसम चक्र को भी जन्म दिया है। वनों की अंधाधुंध कटाई से देश का वन क्षेत्र घटता जा रहा है। जो पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत चिंताजनक है। विकास कार्यो, आवासीय जरूरतों, उद्योगों तथा खनिज दोहन के लिए भी, पेड़ों की कटाई वर्षों से होती आई है।
Author: bhartimedianetwork
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