छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक बार फिर जहरीली शराब का कहर टूटा है। कोनी थाना क्षेत्र के लोफन्दी गांव में चुनावी शराब के रूप में बांटी गई महुआ शराब पीने से चार लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। यह कोई पहली घटना नहीं है, लेकिन बार-बार होने वाली इन त्रासदियों के बावजूद समाज और प्रशासन की चुप्पी चिंता का विषय बनी हुई है।
चुनावी लालच में बंटती जहरीली शराब
हर चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब बांटना अब एक आम रणनीति बन चुकी है। लोफन्दी में भी यही हुआ। सस्ती और मिलावटी शराब लोगों के बीच बांटी गई, जिससे जानलेवा हालात बन गए। दल्लू पटेल, शत्रुहन देवांगन, कन्हैया पटेल और कोमल लहरे की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं।
प्रशासन का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत का असली कारण स्पष्ट होगा, लेकिन यह समझना मुश्किल नहीं कि जहरीली शराब ही इसका जिम्मेदार है। सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक गरीबों को चुनावी खेल का शिकार बनाया जाता रहेगा?
शराब से बर्बाद होती ज़िंदगियाँ
शराब सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे परिवार की तबाही का कारण बनती है। गांव-गांव में महुआ शराब का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है, जो कई घरों को उजाड़ चुका है। सस्ती शराब के लालच में लोग अपनी सेहत और जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं। सरकार द्वारा नशा मुक्ति अभियान चलाने के बावजूद, जब राजनीतिक स्वार्थ के लिए खुद वही नेता लोगों के हाथ में शराब की बोतलें थमाते हैं, तो इससे बड़ा पाखंड क्या हो सकता है?
समाज और प्रशासन की ज़िम्मेदारी
जरूरत है कि समाज और प्रशासन दोनों इस समस्या के प्रति गंभीर हों।
1. प्रशासन को चाहिए कि चुनावों के दौरान शराब के वितरण पर सख्ती से रोक लगाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
2. गांवों में अवैध शराब के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
3. जनता को भी यह समझना होगा कि मुफ्त की शराब का लालच उनकी जिंदगी को खतरे में डाल सकता है।
4. सामाजिक संगठनों और युवाओं को आगे आकर शराब के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए।
लोफन्दी गांव में जो कुछ हुआ, वह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। यह हमें बताती है कि शराब न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि यह चुनावी खेल का भी एक घिनौना हथियार बन चुकी है। जब तक समाज इसे एक गंभीर समस्या के रूप में नहीं लेगा और प्रशासन कठोर कदम नहीं उठाएगा, तब तक नशे का यह जहर लोगों की जिंदगी लीलता रहेगा। सवाल
यह है कि अगला नंबर किसका होगा?

Author: Sarik_bharti_media_desk
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