बीजापुर
छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर पुलिस-नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई। मुठभेड़ में 2 जवान घायल हो गए हैं। हालांकि इनको मामूली चोट आई है। मुठभेड़ के बीच नक्सलियों पर BGL से अटैक करते जवानों का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें जवान फायर करते दिख रहे हैं। मामला पामेड़ थाना क्षेत्र का है।
दरअसल, ये मुठभेड़ गुरुवार की देर रात सुकमा-बीजापुर जिले के बॉर्डर झिडपल्ली-2 में हुई है। बताया जा रहा है कि हाल में खुले कैंप के आउटर कार्डन में जवान ड्यूटी पर तैनात थे। इसी दौरान नक्सलियों ने जवानों पर हैवी फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में नक्सली भाग निकले। वहीं कांकेर के शहीद जवान के अंतिम संस्कार में परिवार रो पड़ा।
कांकेर में अंतिम संस्कार में रो पड़ा पूरा गांव
वहीं 4 दिसंबर को नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में एक DRG जवान शहीद हो गया। बस्तर आईजी सुंदरराज पी की मौजूदगी में श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद पार्थिव शरीर को गृह ग्राम कांकेर के मर्रामपानी के आश्रित ग्राम बावालाड़ी पहुंचा। जहां बेटियों ने अर्थी को कंधा दिया। अंतिम संस्कार में पूरा गांव रो पड़ा। परिजन भी बिलखते रहे।
नक्सलियों के एंबुश में फंस गई थी BSF-DRG की टीम
सोनपुर और कोहकामेटा बॉर्डर के पास जंगल में BSF और DRG की टीम नक्सलियों के एंबुश में फंस गई थी। बुधवार दोपहर 1 बजे से दोनों ओर से रुक-रुककर फायरिंग हुई। मुठभेड़ के दौरान नारायणपुर में हेड कॉन्स्टेबल बीरेंद्र कुमार सोरी (36) को गोली लगी, जिससे उनकी मौके पर शहादत हो गई। नक्सली शहीद जवान का हथियार लूटकर ले गए थे।
शहीद हेड कॉन्स्टेबल बीरेंद्र कुमार सोरी (फाइल फोटो)।
अबूझमाड़ में नक्सली PLGA (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) की वर्षगांठ मना रहे थे। सोनपुर कोहकामेटा थाना क्षेत्र के परादी और गारपा के जंगलों में बड़े नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। इसी सूचना के आधार पर जवानों को सर्च ऑपरेशन के लिए निकाला गया था।
कांकेर के रहने वाले थे बीरेंद्र
बीरेंद्र कुमार सोरी 2010 में नारायणपुर जिला बल में कॉन्स्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे। 2018 में नक्सल ऑपरेशन में वीरतापूर्ण कार्य के लिए उन्हें हेड कॉन्स्टेबल के पद पर पदोन्नत किया गया था। वे कांकेर के नरहरपुर के रहने वाले थे।
पढ़ाई कर रही बेटियां अब दादा और चाचाओं के भरोसे
जवान की तीन बेटियां निकिता, अराधना और झरना शोरी पिता के पार्थिव शरीर आते ही बिलख पड़ीं। तीनों पिता के जाने के बाद अब अपने दादा और चाचाओं के भरोसे रह गई हैं। ग्रामीणों के अनुसार दादा नारायण शोरी जनपद में बाबू, छोटे चाचा अजय शोरी नगर पंचायत में बाबू और मंझले चाचा हरिचन्द शोरी शिक्षा कर्मी के पद पर हैं
शहीद की पत्नी शीतल शोरी और मां बिन्दाबाई का रो-रोकर बुरा हाल था।
इलाके में बंद रखी गई दुकानें
गांव में अंतिम यात्रा के दौरान ग्रामीणों ने फूलों बरसाकर शहीद जवान को श्रद्धांजलि दी। शहीद जवान के सामने बाइक रैली निकाली गई साथ ही क्षेत्र के दुकानदार भी अपनी दुकानें बंद रख अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
Author: DEEPAK SHARMA
News creator, social media activist
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