दुर्ग। साइबर अपराधियों की मदद करने वाले तीन युवकों को सुपेला पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने मामूली पैसों के लालच में अपने बैंक खातों को किराए पर देकर ठगों को सौंप दिया था। पुलिस जांच में सामने आया है कि इन खातों के जरिए कुल 6 लाख 33 हजार 994 रुपए का संदिग्ध ट्रांजेक्शन किया गया।
गृह मंत्रालय से मिली सूचना पर कार्रवाई
भिलाईनगर सीएसपी सत्यप्रकाश तिवारी ने बताया कि गृह मंत्रालय के समन्वय पोर्टल से सूचना मिली थी कि सुपेला के कुछ बैंक खातों का इस्तेमाल साइबर अपराध में हो रहा है। जांच में तीनों युवकों की संलिप्तता पाई गई।
अमनदीप के खाते से सबसे बड़ा ट्रांजेक्शन
पहला आरोपी अमनदीप सिंह (19), निवासी एलआईजी जवाहर नगर है। उसने उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक लिमिटेड में खाता खोलकर ठगों को किराए पर दिया। केवल 5 अप्रैल 2024 को ही इस खाते में 4 लाख 36 हजार 200 रुपए की ठगी की रकम डाली गई। बदले में आरोपी को कमीशन मिला।
कॉन्ट्रेक्टर कॉलोनी और चिंगरीपारा से कनेक्शन
दूसरा आरोपी गनेश्वर दास मानिकपुरी (25), निवासी कॉन्ट्रेक्टर कॉलोनी है। उसने बैंक ऑफ इंडिया, सुपेला शाखा का खाता ठगों को सौंप दिया। जुलाई से दिसंबर 2024 के बीच इस खाते से 99 हजार 794 रुपए का ट्रांजेक्शन किया गया।
तीसरा आरोपी विवेक अवचट (24), निवासी चिंगरीपारा है। उसके बैंक ऑफ इंडिया खाते में 98 हजार रुपए की ठगी की रकम जमा हुई। पुलिस को संदेह है कि इन खातों से और भी रकम गुजरी है। फिलहाल जांच जारी है।
अपराध में सीधे भागीदारी
तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर बीएनएस की धारा 317(2) और 318(4) के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऐसे ‘म्यूल अकाउंट’ धारक साइबर अपराधियों का सबसे बड़ा हथियार होते हैं। मामूली कमीशन के लालच में खाते किराए पर देने वाले लोग भी अपराधी माने जाते हैं।
साइबर एक्सपर्ट की चेतावनी
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि ठग सीधे बैंक खाते नहीं खोलते, बल्कि भोले-भाले युवाओं को लालच देकर उनका खाता किराए पर ले लेते हैं। इससे ठगी की रकम का असली सुराग दब जाता है। उन्होंने सलाह दी कि किसी भी हाल में अपना बैंक खाता, एटीएम या यूपीआई आईडी दूसरों को न दें।
अगर खाते में अचानक बड़ी रकम आए तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। साइबर अपराध की शिकायत के लिए 1930 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया जा सकता है।
								
															



