रायपुर |
छत्तीसगढ़ के स्कूली छात्रों के लिए बड़ी शैक्षणिक खबर है। प्रदेश में शैक्षणिक सत्र 2025-26 से कक्षा चौथी, पंचमी, सप्तमी और अष्टमी की पाठ्यपुस्तकों में व्यापक बदलाव किए जाएंगे। इन बदलावों के तहत अब छात्रों को एनसीईआरटी (NCERT) के आधार पर तैयार किया गया नया पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा।
एनसीईआरटी को किया जा रहा अडॉप्ट, 10–20% स्थानीय तत्व भी होंगे शामिल
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा पाठ्यपुस्तकों में बदलाव की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। नया पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के पाठ्यक्रम के अनुरूप होगा, जिसमें 10 से 20 प्रतिशत तक छत्तीसगढ़ की स्थानीय जानकारी शामिल की जाएगी। इससे छात्रों को अपने राज्य के सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक संदर्भों की भी जानकारी मिल सकेगी।
वर्ष 2025 के अंत तक पूरा होगा बदलाव
राज्य परिषद द्वारा वर्ष 2025 के अंत तक इस कार्य को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसके पश्चात नवीन पुस्तकों को प्रकाशन के लिए छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम को भेजा जाएगा। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि अगले शैक्षणिक सत्र से छात्रों को नई किताबें उपलब्ध कराई जा सकें।
कक्षा 1, 2, 3 और 6 की किताबों में पहले ही हो चुका है बदलाव
उल्लेखनीय है कि शैक्षणिक सत्र 2025-26 से पहले ही राज्य सरकार ने कक्षा 1, 2, 3 और 6 की पुस्तकों को एनसीईआरटी पैटर्न पर संशोधित किया है। इन पुस्तकों में भी छत्तीसगढ़ी परिवेश के अनुसार बदलाव किए गए हैं और प्राथमिक कक्षाओं के लिए मातृभाषा में सामग्री प्रदान की गई है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हो रहा पाठ्यक्रम सुधार
यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है, जिसके अंतर्गत देशभर के सभी राज्यों को अपने पाठ्यक्रम में बदलाव करने की सलाह दी गई है। नई नीति का उद्देश्य केवल प्रमाणपत्र देने तक सीमित न रहकर प्रभावी शिक्षण परिणाम (Learning Outcome) सुनिश्चित करना है। इसके तहत छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान, समझ आधारित शिक्षा, और स्थानीयता से जोड़ने वाले विषय पढ़ाए जा रहे हैं।
एआई और रोबोटिक्स जैसे विषयों को पाठ्यक्रम में जोड़ने की तैयारी
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक्स जैसे आधुनिक विषयों को भी आगामी पाठ्यक्रम में शामिल करने की योजना पर काम किया जा रहा है। हालांकि यह अभी तय नहीं है कि किन कक्षाओं में ये विषय जोड़े जाएंगे, लेकिन इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित की गई है जो इन विषयों के पाठ्यक्रम के प्रारूप पर कार्य कर रही है।
								
															



