Russia Crude Oil: भारत की विदेश नीति की सराहना आज के समय में दुनियाभर में हो रही है। देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर विश्व के अलग-अलग मंचो से भारत की रणनीति को लेकर दुनिया को चेतावनी दे चुके हैं। एक बार की बात है, जब उनसे एक सम्मेलन में विदेशी मीडिया द्वारा पुछा गया कि प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से तेल क्यों खरीद रहा है? तब एस जयशंकर ने जवाब दिया था कि भारत जितना तेल महीना भर में खरीदता है, उतना यूरोपीय देश एक दिन से भी कम समय में खरीद लेते हैं। तब से लेकर आज तक भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद में बढ़ोतरी जारी है। रूस से भारत की कच्चे तेल की खरीद जनवरी में लगातार चौथे महीने पश्चिम एशिया के परंपरागत आपूर्तिकर्ताओं से अधिक रही है। रिफाइनरी कंपनियां लगातार छूट पर उपलब्ध रूसी कच्चे तेल की खरीद कर रही हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले भारत के आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम थी।
रिपोर्ट में हुआ खुलासा
ऊर्जा खेप पर निगरानी रखने वाली वॉर्टेक्सा ने इसको लेकर एक रिपोर्ट जारी की है कि जनवरी में रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात बढ़कर 12.7 लाख बैरल प्रतिदिन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इस तरह भारत के आयात में रूसी कच्चे तेल का हिस्सा बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है। चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पश्चिम के प्रतिबंधों के बाद रूसी तेल रियायती कीमत पर उपलब्ध है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत के आयात में रूसी कच्चे तेल का हिस्सा केवल 0.2 प्रतिशत था। जनवरी 2023 में यह बढ़कर 28 प्रतिशत हो गया है। यहां इंडिया एनर्जी वीक (आईईडब्ल्यू)-2023 में भाग लेने आए अधिकारियों ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस सहित दुनिया में कहीं से भी कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा।
यूरोपीय देशों ने रूस से तेल खरीदने पर लगाया प्रतिबंध
यूरोपीय देशों ने रूस से डीजल एवं अन्य तेल उत्पादों खरीद पर रविवार को प्रतिबंध लगाने के साथ ही यूक्रेन पर हमला करने के लिए उसकी आर्थिक रूप से घेराबंदी तेज कर दी है। रूसी डीजल पर यह पाबंदी पेट्रोलियम उत्पादों की अधिकतम सीमा के साथ लगाई गई है। डीजल की अधिकतम मूल्य सीमा पर सात मित्र देशों ने सहमति जताई थी। हालांकि यह मूल्य सीमा तात्कालिक तौर पर रूस के आर्थिक हितों को अधिक प्रभावित नहीं करेगी। इसकी वजह यह है कि रूस इस समय कमोबेश इसी स्तर पर डीजल की आपूर्ति कर रहा है, लेकिन यूरोपीय देशों की पाबंदी लगने के बाद उसके लिए डीजल के ग्राहकों की तलाश कर पाना खासा मुश्किल हो जाएगा। यूक्रेन पर पिछले साल फरवरी में हमला करने वाले रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के लिए अमेरिका एवं यूरोपीय देश उस पर कई पाबंदियां लगा चुके हैं। डीजल पर यूरोपीय देशों की रोक इसी दिशा में उठाया गया अगला कदम है।
इस पाबंदी और मूल्य सीमा के पीछे मकसद यह है कि रूस को शोधित तेल उत्पादों की कीमतों में होने वाली किसी भी बढ़ोतरी का लाभ न मिले। यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने कहा कि इस पाबंदी की घोषणा जून में ही कर दी गई थी, लिहाजा रूस से तेल आयात करने वाले देशों के पास पर्याप्त समय था। पाबंदी के प्रभावी होने के पहले दिसंबर में रूस ने यूरोपीय देशों को डीजल आपूर्ति से दो अरब डॉलर कमाए। यूरोपीय देश पहले ही रूस से कोयला एवं अधिकांश कच्चे तेल पर रोक लगा चुका है। वहीं रूस ने जवाबी कदम के तौर पर यूरोप को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बहुत सीमित कर दी है।