रायपुर। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत निजी स्कूलों में बीपीएल श्रेणी के बच्चों के लिए आरक्षित सीटों पर प्रवेश की प्रक्रिया में देरी हो रही है। राज्य के 6628 निजी स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत कुल 52035 सीटें आरक्षित हैं, जिनके लिए इस वर्ष 1,05,372 आवेदन प्राप्त हुए थे।
पहले चरण की लॉटरी प्रक्रिया के बाद 40 हजार सीटों पर आवंटन किया गया, लेकिन इनमें से अब तक केवल 36 हजार सीटों पर ही बच्चों का प्रवेश हो पाया है। शेष 4 हजार सीटें अब भी खाली हैं।
इन रिक्त सीटों और पहले से खाली पड़ी सीटों पर पुनः आवेदन आमंत्रित किए जाने थे, जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 2 जून से शुरू होनी थी। लेकिन निर्धारित तिथि बीत जाने के बावजूद अभी तक आवेदन प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
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सूत्रों के अनुसार, शिक्षा विभाग वर्तमान में युक्तियुक्तकरण (Rationalization) प्रक्रिया में व्यस्त है, जिसके चलते आरटीई के दूसरे चरण की प्रवेश प्रक्रिया में देरी हो रही है।
प्रमुख जिलों की स्थिति
रायपुर जिले में सबसे ज्यादा 4953 सीटें आरक्षित हैं, जिनमें पहले चरण में 4510 सीटों पर लॉटरी हुई और अब तक 3868 बच्चों का प्रवेश हो चुका है।
दुर्ग जिले की 4292 में से पहले चरण में 3097 सीटों पर लॉटरी हुई थी, जिनमें 2772 सीटों पर बच्चों का दाखिला हुआ।
बिलासपुर में आरक्षित 4899 सीटों में से 3760 सीटों पर लॉटरी हुई और 3262 बच्चों ने दाखिला लिया है।
जांजगीर-चांपा जिले में 4463 सीटों में से 3460 सीटों पर लॉटरी के बाद 3157 बच्चों का प्रवेश हुआ है।
क्या है RTE?
RTE यानी शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और वंचित समूहों के बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं। इन सीटों पर बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती है।
अगला कदम?
अब सबकी निगाहें शिक्षा विभाग पर टिकी हैं कि वह कब तक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पूरी कर RTE के दूसरे चरण की आवेदन प्रक्रिया शुरू करेगा।
								
															



