पंडवानी को देश-दुनिया में पहुंचाने वाली लोकगायिका का दर्द…:मैं तीजन बाई पद्म विभूषण, दो साल से लकवाग्रस्त, अब 78 साल की; 8 माह से पेंशन नहीं मिली..

दुर्ग|

मैं तीजन बाई पद्म विभूषण दो साल से लकवाग्रस्त हूं। चलने में, बोलने में असमर्थ हूं। 78 साल की हो चुकी हूं। मैंने संस्कृति विभाग से बीमारी के इलाज से संबंधित 88,000 रुपए की सहायता राशि एवं पेंशन के लिए आवेदन किया है। परंतु अभी तक मुझे दोनों ही नहीं मिली हैं। कृपया मुझे जल्द सहायता राशि व पेंशन दिलाने की कृपा करेंगे।’

यह आवेदन 10 दिसंबर को तीजन बाई ने उनके निवास में आए संस्कृति विभाग रायपुर के असिस्टेंट ग्रेड-2 राबर्टसन दास को दिया। पंडवानी गायन से देश-दुनिया में छत्तीसगढ़ और भारत का मान बढ़ाने वाली तीजन दो साल से बीमार और बिस्तर पर हैं। बिस्तर से उठ पाने और बोलने में भी असमर्थ तीजन ने बहू वेणु द्वारा हाथ से लिखे आवेदन पर अंगूठा लगाकर तस्दीक की।

दवाई का बिल ले गए, मेडिकल रिपोर्ट और आय प्रमाण-पत्र मंगाया संस्कृति विभाग की ओर से आए प्रतिनिधियों ने अब तक तीजन के इलाज में हुए खर्च की जानकारी बहू वेणु से ली। इसके बाद दवाई खरीदी का ओरिजनल बिल मांगा। प्रक्रिया के तहत इलाज करने वाले डॉक्टर की मेडिकल रिपोर्ट, आय प्रमाण-पत्र, शपथ-पत्र एवं अन्य जरूरी दस्तावेज तैयार रखने की जानकारी दी। यह भी बताया कि कलाकार पति-पत्नी या अकेले होने पर आय सीमा 70 हजार एवं आश्रित पुत्र-पुत्री होने पर अधिकतम 1.5 लाख रुपए वार्षिक से अधिक नहीं होनी चाहिए।  इलाज  और  इलाज  और दवाई में हर महीने 15-16 हजार रुपए खर्च हम अब तक मां का इलाज जमा पूंजी से करवाते रहे हैं। बेटा दिलहरण बहुत पैसा लगा चुका है। अब दिक्कत हो रही है। हर महीने दवाई आदि में 15-16 हजार रुपए खर्च होते हैं। डाइपर ही 5000 रुपए के लग जाते हैं। सहायता राशि के लिए आवेदन दिया है, पर नहीं ​मिली है।- वेणु, तीजन की बहू

 दूसरी बार गुहार 3 महीने में

सरकार और प्रशासन को तीजन बाई की कितनी सुध है, इसका अंदाजा इसी से लगता है कि इलाज-पेंशन के लिए 3 महीने में दूसरी बार उन्हें प्रशासन और सरकार के सामने गिड़गिड़ाना पड़ रहा है।

88 दिन में भी दुर्ग से 40 किमी रायपुर नहीं पहुंच सका आवेदन

13 सितंबर को भी तीजन ने कलेक्टर से मदद की गुहार लगाने का आवेदन दिया ​था। वह भी 40 किमी दूर रायपुर स्थित संचालनालय संस्कृति विभाग नहीं पहुंचा है। इसमें उन्होंने लिखा ​​था…

मैं पंडवानी लोकगायिका पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण श्रीमती तीजन बाई, उम्र 78 वर्ष, ग्राम गनियारी, जिला दुर्ग की हूं। विगत 2 वर्षों से गंभीर रूप से बीमार और लकवाग्रस्त हूं। मधुमेह व अन्य बीमारी से भी चलने में असमर्थ हूं। नित्य क्रिया बिस्तर पर ही करने को मजबूर हूं। उम्र की अधिकता और अस्वस्थ होने से मंचीय प्रस्तुति देने में असमर्थ हूं।

इस वजह से घोर आर्थिक संकट से जूझ रही हूं। इलाज परिजन, दिल्ली (संगीत नाटक अकादमी) और कलाकारों के सहयोग से बमुश्किल से हो रहा है। वर्तमान में मैं पुत्र की मृत्यु के बाद दामाद (बेटी की मृत्यु) के सहारे उनके घर पर आश्रित हूं। इलाज में उनकी भी जमा पूंजी खर्च हो गई है। अब वह दवाइयां खरीदने व इलाज कराने में असमर्थ हैं।

अत: आपसे विनम्र प्रार्थना है कि मेरे जीवनयापन व इलाज के लिए कलाकारों को दी जाने वाली मासिक सहायता राशि पेंशन स्वीकृत करने की कृपा करें।

(13 सितंबर को तीजन बाई की ओर से दुर्ग कलेक्टर को प्रस्तुत आवेदन)

खाते की समस्या थी, समाधान करेंगे तीजन बाई की पेंशन जा रही थी, बीच में उनके खाते की कुछ समस्या आई थी। उसका समाधान कर लिया जाएगा। उनके स्वास्थ्य की जांच के लिए हेल्थ विभाग की टीम लगातार नजर रखती है। -ऋचा प्रकाश चौधरी, कलेक्टर दुर्ग

तीजन का आवेदन विभाग को नहीं मिला छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग की ओर से ख्यातिलब्ध अर्थाभाव ग्रस्त वरिष्ठ लोक कलाकारों को 2000 रुपए मासिक सहायता राशि (पेंशन) और इलाज के लिए 25 से 50 हजार रुपए देने का प्रावधान है। परिजन 13 सितंबर को आवेदन कर चुके हैं, लेकिन विभाग में अभी नहीं पहुंचा है।

राबर्टसन दास, संस्कृति विभाग रायपुर के असिस्टेंट ग्रेड-2

(10 दिसंबर को तीजन के निवास पहुंचे, इस दौरान कहा)

DEEPAK SHARMA
Author: DEEPAK SHARMA

News creator, social media activist


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