ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) रायपुर में मरीजों को अब अपनी जांच रिपोर्ट की फाइल लेकर घूमने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एम्स और भिलाई आईआईटी मिलकर ऐसा एप बना रहे हैं, जिसमें मरीज की पूरी मेडिकल हिस्ट्री ऑनलाइन मिल जाएगी। अगर वह आईसीयू या ऑपरेशन थिएटर में होगा, तो उसकी सर्जरी घर बैठे देखी जा सकेगी।
कौन सा डॉक्टर सर्जरी या ट्रीटमेंट कर रहा है? मरीज का बीपी, शुगर और हार्ट बीट कितनी है, दवाइयां किस तरह दी जा रही हैं, एप इसे मोबाइल पर लाइव कर देगा। ऐसा तब होगा, जब मरीज की एडमिट होने के बाद आईडी बनाई जाएगी।
एप में यह आईडी और पासवर्ड डालते ही मरीज की पल-पल की जानकारी परिजनों को मोबाइल पर मिलने लगेगी। विशेषज्ञों के अनुसार इस एप का सबसे बड़ा फायदा उन मरीजों को होगा, जिन्हें इमरजेंसी में एम्स जैसे अस्पतालों में भर्ती किया जा रहा है। जैसे यदि व्यक्ति हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज या फिर बड़ी दुर्घटना का शिकार होता है तो डॉक्टर उसकी पुरानी मेडिकल हिस्ट्री नहीं मिल पाने के कारण तुरंत इलाज शुरू नहीं कर पाते।
कई बार यह भी होता है कि मरीज के परिजन जल्दबाजी में पुरानी रिपोर्ट लाना भूल जाते हैं। इस एप के माध्यम से डॉक्टरों को तुरंत पता चल जाएगा कि मरीज को पहले से शुगर, बीपी या अन्य बीमारी तो नहीं है, और उसकी पहले कौन-कौन सी जांचें हो चुकी हैं आदि। आईआईटी भिलाई प्रोफेसर संतोष बिसवाल ने बताया कि इस एप के शुरू हो जाने से एम्स का इमरजेंसी वार्ड पूरी तरह पेपरलेस और ऑनलाइन हो जाएगा। खास बात यह है कि नए इलाज की पूरी जानकारी भी एप में स्टोर होती रहेगी।
कोविड में इसी तकनीक से फायदा
अस्पतालों में इस तरह की टेक्नोलॉजी फिलहाल जापान, अमेरिका, चीन, ब्रिटेन जैसे प्रमुख देशों में चल रही है। इस टेक्नोलॉजी का फायदा सबसे ज्यादा कोरोना के समय हुआ। इन्फेक्शन के डर से मरीज के परिजन अस्पताल नहीं जा पाते थे। इस दौरान वे घर बैठे ही उनका हाल-चाल जानते रहे। इस टेक्नोलॉजी को भारत में लाना काफी महंगा पड़ेगा, इसीलिए आईआईटी और एम्स इस टेक्नोलॉजी को डेवलप कर रहे हैं।
एम्स के विशेषज्ञ डॉक्टरों और भिलाई आईआईटी के एक्सपर्ट की टीम ने एप बनाने पर काम शुरू कर दिया है। प्लानिंग लेवल पर यह कंप्लीट है। एम्स के डीन और डायरेक्टर भी इसकी सराहना कर चुके हैं। -प्रो. राजीव प्रकाश, डायरेक्टर आईआईटी भिलाई