भैसमुंडी में एक कमरा, 3 शिक्षक और पांच कक्षाएं, कैसे होगी पढ़ाई

भानुप्रतापपुर। सरकार और विभाग की तमाम दावे स्कूलों में सुविधाएं दी जा रही है। पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। ऐसा ही विकासखंड भानुप्रतापपुर के प्राथमिक शाला भैंसमुंडी का भवन के कंडम हो गया है । इसके अलावा एक अतिरिक्त कक्ष बना हुआ अभी जर्जर अवस्था में है । 1991 में बना प्राथमिक स्कूल भवन का प्लास्टर लगातार गिर रहा है। जिससे हादसा का आशंका को देखते हुए। शिक्षकों ने स्कूल के अतिरिक्त कक्ष जो एक ही कमरे का है इसमें कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक कक्षाएं संचालित की जा रही है यहां भी भवन भी जर्जर है। जिससे भवन को तिरपाल ढककर काम चलाया जा रहा है। यहां पढ़ने वाले एक से लेकर पांचवी तक कुल 15 बच्चे एक साथ बैठकर बच्चों को एक ही कमरे में तीन शिक्षकों के द्वारा अध्यापन कराया जाता है। इस सूरत में बच्चों को व्यवधान होना लाजमी है ।

इसकी मरम्मत क्यों नहीं हुई इसकी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है। विभाग की ओर से हर बार कहा जाता है कि का एस्टीमेट बनाकरशासन को भेजा गया है। पर मरम्मत इनका नाम नहीं आया। विकासखंड भानुप्रतापपुर में कुल 187 स्कूल भवनों को मरम्मत के नाम से राशि करोड़ों रुपए राशि आई पर इसमें सबसे जर्जर कंडम भवन प्राथमिक शाला भैंसमुंडी का नाम नहीं आया ।

जिससे मरम्मत नहीं हो पाई और शिक्षकों के द्वारा तिरपाल लगाकर स्कूलों को स्कूल भवन को ढक दिया। सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के दिनों में हो रही है। प्राथमिक शाला भैसमुंडी के प्रधान पाठक केशव राम मंडावी ने कहा इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को लगातार दी जा रही है। इसके अलावा गूगल फॉर्म में जानकारी मांगी जाती है उसमें भी इसकी जानकारी दी गई है। मरम्मत के नाम से कोई राशि स्वीकृत नहीं हुई है । यहां पर नया स्कूल भवन की स्कूल भवन बनाने की जरूरत है इसकी मांग की जा रही है।

बीईओ सदेसिंह कोमरे ने कहा भैसमुंडी प्राशा भवन की मरम्मत के लिए नाम भेजा गया था। स्वीकृति नहीं मिली है। नया भवन बनने की मांग की गई है।

पिछले साल प्लाटर गिरा

भैसमुंडी की प्राथमिक शाला भवन बेहद जर्जर होने से बारिश के अलावा अन्य समय मे भी छत का प्लास्टर कभी भी गिरते रहता है। प्रधानपाठक मंडावी ने बताया पिछले साल प्लास्टर गिरने के बाद अतिरिक्त कक्ष में सभी कक्षा लगा रहे है। एक साथ सभी कक्षा के बच्चों को बैठने अब परेशानी हो रही है।

Abhishek Singh Thakur
Author: Abhishek Singh Thakur

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